जो बीत गई सो बात गई!
जीवन में एक सितारा था,
माना, वह बेहद प्यारा था,
वह डूब गया तो डूब गया;
अंबर के आनन को देखो,
कितने इसके तारे टूटे,
कितने इसके प्यारे छूटे,
जो छूट गए फिर कहाँ मिले;
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है!
जो बीत गई सो बात गई!
जीवन में वह था एक कुसुम,
थे उस पर नित्य निछावर तुम,
वह सूख गया तो सूख गया;
मधुवन की छाती को देखो,
सूखीं कितनी इसकी कलियाँ,
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ
जो मुरझाईं फिर कहाँ खिलीं;
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है;
जो बीत गई सो बात गई!
जीवन में मधु का प्याला था,
तुमने तन-मन दे डाला था,
वह टूट गया तो टूट गया;
मदिरालय का आँगन देखो,
कितने प्याले हिल जाते हैं,
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं,
जो गिरते हैं कब उठते हैं;
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है!
जो बीत गई सो बात गई!
मृदु मिट्टी के हैं बने हुए,
मधुघट फूटा ही करते हैं,
लघु जीवन लेकर आए हैं,
प्याले टूटा ही करते हैं,
फिर भी मदिरालय के अंदर
मधु के घट हैं, मधुप्याले हैं,
जो मादकता के मारे हैं,
वे मधु लूटा ही करते हैं;
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट-प्यालों पर,
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है, चिल्लाता है!
जो बीत गई सो बात ग
ई!
हरिवंश राय बच्चन
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मौत से ठन गयी - अटल बिहारी वाजपेयी जी
ठन गई ! मौत से ठन गई ! झुझने का कोई इरादा न था , मोड पर मिलेगे इसका वादा न था रास्ता रोक कर वो खड़ी हो गई , यों लगा जिंदगी से बड़ी हो गयी ...
-
कभी थे अकेले हुए आज इतने नहीं तब डरे तो भला अब डरेंगे विरोधों के सागर में चट्टान है हम जो टकराएंगे हमसे मौत अपनी मरेंगे लिया ह...
-
जब हम किसी नेता , मोटीवेशन वक्ता या ऐसे किन्ही व्यक्तियों को देखते तो हम यह सोचते है कि क्या हम इस प्रकार से कभी बोल सकते है । कैसे एक न...
-
लक्ष्य शिखर की ओर अग्रसर , भारत का पावन अभियान लोकशक्ति के स्वप्नों पर अब , युवा शक्ति भी है गतिमान आओ तीव्र ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें