शुक्रवार, 20 मार्च 2020

कभी थे अकेले हुए आज इतने

KABHI-THE-AKELE



कभी थे अकेले हुए आज इतने 
नहीं तब डरे तो भला अब डरेंगे

विरोधों के सागर में चट्टान है हम
जो टकराएंगे हमसे मौत अपनी मरेंगे

लिया हाथ में ध्वज कभी न झुकेगा
कदम बढ़ रहा है कभी न रूकेगा

न सूरज के सम्मुख अंधेरा टिकेगा
निडर है सभी हम अमर है सभी 

के सर पर हमारे वरदहस्त करता
गगन में लहराता है भगवा हमारा

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