लो श्रद्धांजली राष्ट्र पुरुष , शत कोटी हृदय के कंज खिले है |
आज तुम्हारी पूजा करने ,सेतु हिमालय संग मिले ||
माँ के पद पद्मों तुमने जो अमूल्य उपहार रखा है |
सत्य चिरंतन अक्षय है , हिन्दू की अमिट रूपरेखा है ||
पावन संस्कारों से निर्मित , तन मन ये अभेद्य किले |
आज तुम्हारी पूजा करने ..........................................
तुमने किया व्यतीत कठिनतम , लोक - प्रसिद्ध - परामुख जीवन |
भीष्म समान रहे तुम अविचल , हिन्दू राष्ट्र के हित जीवन ,
देव ! तुम्हारी घोर तपस्या के ही ये सुफल मिले है ||
आज तुम्हारी पूजा करने ----------------------------------
तुम अजात और लोक संग्रही , संघ शक्ति के वलय कोण थे ,
देव ! बता दो प्रतिपक्षी भी क्यों इतने संतुष्ट मौन थे ,
सुनकर पावन चरित तुम्हारा कोटी हृदय प्रस्तर पिघले है ||
आज तुम्हारी पूजा करने ----------------------------------
आज तुम्हारी पार्थिव प्रतिमा चर्म चक्षुओ से अद्रश्य है ,
किन्तु कोटी उर निलयों में तब दिव्य मूर्ति प्रस्थित अखंड है ,
तेजोमय प्रतिबिंब तुम्हारे , स्वयं सिद्ध अगणित निकले है ||
आज तुम्हारी पूजा करने --------------------------------------