युगों युगों से दुनिया चलती, जिसके दिव्य प्रकाश में
युगों युगों से दुनिया चलती, जिसके दिव्य प्रकाश में |
पुरुखों की वह पौरुष गाथा , अजर अमर इतिहास में ||
भारत के इतिहास में ----------------(1)
अपना बल ही अपना वैभव , कुरुक्षेत्र मैदानों में
विजय लिखी थी खड़ग नौंक से , शक हुणी तूफानों में
हार नहीं जय विजय पराक्रम , पुरुखों के पुरुषार्थ में ||
भारत के इतिहास में -----------------(2)
राज्य सैकड़ो रहा विदेशी , पर अखंड यह परिपाटी
मिटा मिटाने वाला उसको , तेजोमय इसकी माटी
अमर - अमिट हिन्दू संस्कृति है , जल थल में आकाश में ||
भारत के इतिहास में ----------------(3)
भौतिकता से त्रस्त विश्व की , एकमात्र भारत आशा
परमानंद शांति की जननी , पूर्ण करेगी अभिलाषा
यत्न संगठित बने मील के , पत्थर विश्व विकास में ||
भारत के इतिहास में ---------------------(4)
व्यष्टि - समष्टि - सृष्टि जीवन में , कलिमल आहत मर्यादा
हिन्दू संस्कृति संस्कारों से , दूर करेगी हर बाधा
पतित पावनी संस्कृति गंगा , जन मन हृदयकाश में ||
भारत के इतिहास में --------------------(5)
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