शनिवार, 31 दिसंबर 2022

लो श्रद्धांजली राष्ट्र पुरुष , शत कोटी हृदय के कंज खिले है


लो श्रद्धांजली राष्ट्र पुरुष , शत कोटी हृदय के कंज खिले है |

आज तुम्हारी पूजा करने ,सेतु हिमालय संग मिले ||


माँ के पद पद्मों तुमने जो अमूल्य उपहार रखा है |

सत्य चिरंतन अक्षय है , हिन्दू की अमिट रूपरेखा है || 

पावन संस्कारों से निर्मित , तन मन ये अभेद्य किले |

आज तुम्हारी पूजा करने ..........................................

तुमने किया व्यतीत कठिनतम , लोक - प्रसिद्ध - परामुख जीवन |

भीष्म समान रहे तुम अविचल , हिन्दू राष्ट्र के हित जीवन ,

देव ! तुम्हारी घोर  तपस्या के ही  ये सुफल मिले है ||

 आज तुम्हारी पूजा करने ----------------------------------

तुम अजात और लोक संग्रही , संघ शक्ति के वलय कोण थे ,

देव ! बता दो प्रतिपक्षी भी क्यों इतने संतुष्ट मौन थे , 

सुनकर पावन चरित तुम्हारा  कोटी हृदय प्रस्तर पिघले है ||

 आज तुम्हारी पूजा करने ----------------------------------

आज तुम्हारी पार्थिव प्रतिमा चर्म चक्षुओ से अद्रश्य है ,

किन्तु कोटी उर निलयों में तब दिव्य मूर्ति प्रस्थित अखंड है ,

तेजोमय प्रतिबिंब तुम्हारे , स्वयं सिद्ध अगणित निकले है ||

आज तुम्हारी पूजा करने --------------------------------------




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