खेल उतने ही प्राचीन हैं, जितना इस पृथ्वी पर मानवजीवन , मानवजीवन के विकास के साथ ही खेलों का भी विकास होता चला गया। स्वस्थ शारीरिक विकास , मनोरंजन , विविध गुण- विकास आदि के लिये एक उत्कृश्ट साधन के रूप में खेलों का परिचय आज जगत के सभी विकसित मानव समूहों में विद्यमान है । विविध भूभागों की जलवायु , भूगोल वहाँ के समाजों की परम्परा , इतिहास आदि कई स्थानीय वास्तविकताएँ खेलो की चालढाल को भिन्न - भिन्न प्रकार से परिवर्तित रूपों में ढालती रही है। खेलों के माध्यम से यह स्थानीय पृश्ठभूमि भी खिलाड़ी तथा दर्षक , दोनों तक पहुँचायी जा सकती है तथा यह उनके मनों को प्रभावित कर सकती है, इसीलिए खेल संस्कारों का एक सषक्त व सुलभ माध्यम बन सकते है।
“ The battle at waterloo was won on the playground of Haroow & Eton”.
यह अंग्रेजी वाक्य अथवा स्वामी विवेकानंद द्वारा भारतीय युवकों को श्रीमद्भगवत्गीता को ठीक से समझने के लिए फुटबाॅल के मैदान में उतरने का उपदेष इसी सत्य को निर्देषित करता है।
खेल के विशय में इस सत्य को समझ कर उनके माध्यम से संस्कार व व्यक्ति - विकास का सफल व व्यापक प्रयोग राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने किया , जिसे आज भी शाखा के मैदान पर जाकर अनुभव कर सकते है। इन खेलों से एक विश्व व्यापी संगठन खड़ा हो गया।
1. विभिन्न प्रकार की दौड़
1. एक टाँग की (लगड़ी) दौड़ (प्रकार 1) -
बायें हाथ से बायें पैर को पीछे की ओर टखने के पास पकड़ कर , प्रारम्भ रेखा से निर्धारित स्थान तक इसी स्थिति में एक टाँग से दौड़ना
। वापस आते समय दूसरी टाँग का उपयोग करें।
2. एक टाँग की दौड़ (प्रकार 2) -
एक टाँग पर दौड़ते समय हथेली के पृश्ठ भाग, कोहनी , कंधे या सिर पर कोई सिक्का या पत्थर रखकर दौड़े ।इन वस्तुओं को बिना गिराये, निर्धारित दूरी सबसे सबसे पहले पूरी करने वाला विजयी होगा।
3. बिच्छू दौड़ - दोनो हाथ तथा एक पैर के सहारे निर्धारित लक्ष्य तक दौड़ना , दूसरा पैर बिच्छू की दुम की तरह ऊपर उठा रहेगा। वापसी पर पैर बदल भी सकते है।
4. ठेला दौड़ - एक खिलाड़ी अपने दोनो हाथ धरती पर रखेगा , दूसरा उसके पैरों को टखनों के पास से पकड़कर कमर तक उठायेगा । इस प्रकार बनी जोड़ी निर्धारित स्थान तक जायेगी, वापसी पर दोनों खिलाड़ी अपनी स्थिति बदल लेंगे।
5. गणित दौड़ - 4 - 6 मेज, प्रत्येक पर एक बड़े कागज पर गणित के कुछ प्रश्न लिखें खिलाड़ी पेन लेकर दौड़गे। सबप्रष्न ठीक हल करके सबसे पहले वापिस आने वाला खिलाड़ी विजयी होगा।
2. स्पर्ष के खेल
1. गणेष छू - एक खिलाड़ी बायें हाथ से अपनी नाक पकड़ेगा तथा दाहिने हाथ को इसके बीच से सँूड की तरह निकाल कर बाकी सबको छूएगा।जो खिलाड़ी छुए जायेंगे वे भी इसी प्रकार गणेष बन कर छूना शुरू कर देंगे, सबके गणेक बन जाने पर खेल समाप्त होगा।
2. लाहौर किसका - भूमि पर एक छोटा गड्ढा बनाकर एक खिलाड़ी उसमें पैर की एड़ी रखकर खड़ा होगा तथा उच्च स्वर से पूछेगा
- लाहौर किसका ? सब उत्तर देंगे - हमारा । तीन बार इस उद्घोश के बाद सब लाहौर पर कब्जा करने हेतु धक्का - मुक्की करेंगे। निर्धारित समय (30 सेंकड) बाद सीटी बजने पर जिसकी एड़ी वहाँ होगी । वही विजयी माना जायेगा, इस प्रकार खेल चलता रहेगा।
3. दर्दीले घुटने - दौड़ने वाले खिलाड़ी अपने हाथ घुटनों पर रखकर दौड़ेगे, छूने वाला खिलाड़ी दोनों हाथ सिर के पीछे बाँधकर सिर या कोहनी से छुएगा।
4. दो दलों के खेल -
1. शक्ति परिचय (प्रकार 1 ) - दोनों दलों के खिलाड़ी आगे - पीछे एक दूसरें की कमर पकड़कर श्रृंखला बनायेंगे , शुरू के दोनों खिलाड़ी हाथ या रस्सी पकडे़गे । दूसरे दल को
खींचकर अपनी ओर ले आने वाला दल विजयी होगा।
2. रस्साकशी - पूर्व खेल की भाँति मोटे तथा लम्बे रस्से के मध्य - बिन्दु पर बँधे रूमाल को निर्धारित दूरी तक अपनी ओर खींचने वाला दल विजयी होगा।
4. मंडल के खेल -
1. चूहा - बिल्ली - सब हाथ पकड़ कर मंडल / गोला बनायेंगे , एक खिलाड़ी बाहर (बिल्ली) तथा एक अन्दर (चूहा) रहेगा। सीटी बनजे पर बिल्ली चूहे को पकड़ेगी पर सब उसे बचाने का प्रयत्न करेगे, यदि चूहा अन्दर है तो सब बिल्ली को बाहर ही रोकेंगे, यदि बिल्ली अन्र आ गई है तो चूहे को सुरक्षित बाहर निकाल देंगे । इस प्रकार खेल चलता रहेगा।
2. चुनौती - सभी खिलाड़ी मंडल बनाकर बैठेगे , खिलाड़ी अ के पास रूमाल रहेगा। जिसे वह दौड़ते हुए चुपचाप मंडल के किसी भी खिलाड़ी ब के पीछे चुपचाप रखेगा। यदि ब को इसका पता लग गया तो वह अ का पीछा कर उसे मुक्के मारेगा अन्यथा परिक्रमा पूरी कर अ रूमाल उठाकर ब को मुक्के मारेगा , ब बचने हेतु दौडे़गा तथा एक परिक्रमा कर अपने स्थान पर बैठेगा।
3. कुरू - मूर्ति - सब मंडलाकार दौडेंगे , षिक्षक विभिन्न उद्घोश बोलता रहेगा , अचानक वह बीच में जोर से मूर्ति कहेगा। इस पर सभी खिलाड़ी मूर्तिवत स्थिर हो जायेंगे , जो खिलाड़ी हिलता दिखाई दिया , वह बाहर हो जायेगा। कुरू कहने पर फिर दौड़ने लगेगे , सबसे अन्त तक बचने वाला विजयी होगा।
4. बगुला भगत - मंडल के बीच में एक रूमाल रखा होगा , शिक्षक जिस खिलाड़ी का नाम या अंक बोलेगा, वह एक पैर पर कूदता हुआ आयेगा तथा हाथ पीछे बाँध कर मुँह से रूमाल उठायेगा।
5. वाह रे बुद्धू - एक छोटा गोला बनाकर उसमें एक स्वयंसेवक खड़ा होगा। सब उसकी पीठ पर मुक्का मार कर वाह रे बुद्धू कहेंगे। वह मंडल के अन्दर रहते हुए ही उन्हें छूने का प्रयास करेगा। इस प्रकार जो स्वयंसेवक छुआ जायेगा, अब उसे बीच में आना होगा।
6. मत चूको चैहान - शिक्षक किसी भी खिलाड़ी को ईट के पास बुलाएगा फिर उसकी आँख बंद कराकर लट्टू की तरह उसी स्थान पर तीन चक्कर लगवाएगा। अब वह ईंट पर दंड मारने का प्रयास करेगा ।तीन प्रयास में भी सफल न होने वाला खेल से बाहर हो जाएगा।
और भी बहुत से ऐसे खेल है जिनका वर्णन इस एक ही लेख में करना सम्भव नहीं हो पाया। इसलिए अन्य खेलों के लिए अगला लेख जल्द.
“ The battle at waterloo was won on the playground of Haroow & Eton”.
यह अंग्रेजी वाक्य अथवा स्वामी विवेकानंद द्वारा भारतीय युवकों को श्रीमद्भगवत्गीता को ठीक से समझने के लिए फुटबाॅल के मैदान में उतरने का उपदेष इसी सत्य को निर्देषित करता है।
खेल के विशय में इस सत्य को समझ कर उनके माध्यम से संस्कार व व्यक्ति - विकास का सफल व व्यापक प्रयोग राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने किया , जिसे आज भी शाखा के मैदान पर जाकर अनुभव कर सकते है। इन खेलों से एक विश्व व्यापी संगठन खड़ा हो गया।
1. विभिन्न प्रकार की दौड़
1. एक टाँग की (लगड़ी) दौड़ (प्रकार 1) -
बायें हाथ से बायें पैर को पीछे की ओर टखने के पास पकड़ कर , प्रारम्भ रेखा से निर्धारित स्थान तक इसी स्थिति में एक टाँग से दौड़ना
। वापस आते समय दूसरी टाँग का उपयोग करें।
2. एक टाँग की दौड़ (प्रकार 2) -
एक टाँग पर दौड़ते समय हथेली के पृश्ठ भाग, कोहनी , कंधे या सिर पर कोई सिक्का या पत्थर रखकर दौड़े ।इन वस्तुओं को बिना गिराये, निर्धारित दूरी सबसे सबसे पहले पूरी करने वाला विजयी होगा।
3. बिच्छू दौड़ - दोनो हाथ तथा एक पैर के सहारे निर्धारित लक्ष्य तक दौड़ना , दूसरा पैर बिच्छू की दुम की तरह ऊपर उठा रहेगा। वापसी पर पैर बदल भी सकते है।
4. ठेला दौड़ - एक खिलाड़ी अपने दोनो हाथ धरती पर रखेगा , दूसरा उसके पैरों को टखनों के पास से पकड़कर कमर तक उठायेगा । इस प्रकार बनी जोड़ी निर्धारित स्थान तक जायेगी, वापसी पर दोनों खिलाड़ी अपनी स्थिति बदल लेंगे।
5. गणित दौड़ - 4 - 6 मेज, प्रत्येक पर एक बड़े कागज पर गणित के कुछ प्रश्न लिखें खिलाड़ी पेन लेकर दौड़गे। सबप्रष्न ठीक हल करके सबसे पहले वापिस आने वाला खिलाड़ी विजयी होगा।
2. स्पर्ष के खेल
1. गणेष छू - एक खिलाड़ी बायें हाथ से अपनी नाक पकड़ेगा तथा दाहिने हाथ को इसके बीच से सँूड की तरह निकाल कर बाकी सबको छूएगा।जो खिलाड़ी छुए जायेंगे वे भी इसी प्रकार गणेष बन कर छूना शुरू कर देंगे, सबके गणेक बन जाने पर खेल समाप्त होगा।
2. लाहौर किसका - भूमि पर एक छोटा गड्ढा बनाकर एक खिलाड़ी उसमें पैर की एड़ी रखकर खड़ा होगा तथा उच्च स्वर से पूछेगा
- लाहौर किसका ? सब उत्तर देंगे - हमारा । तीन बार इस उद्घोश के बाद सब लाहौर पर कब्जा करने हेतु धक्का - मुक्की करेंगे। निर्धारित समय (30 सेंकड) बाद सीटी बजने पर जिसकी एड़ी वहाँ होगी । वही विजयी माना जायेगा, इस प्रकार खेल चलता रहेगा।
3. दर्दीले घुटने - दौड़ने वाले खिलाड़ी अपने हाथ घुटनों पर रखकर दौड़ेगे, छूने वाला खिलाड़ी दोनों हाथ सिर के पीछे बाँधकर सिर या कोहनी से छुएगा।
4. दो दलों के खेल -
1. शक्ति परिचय (प्रकार 1 ) - दोनों दलों के खिलाड़ी आगे - पीछे एक दूसरें की कमर पकड़कर श्रृंखला बनायेंगे , शुरू के दोनों खिलाड़ी हाथ या रस्सी पकडे़गे । दूसरे दल को
खींचकर अपनी ओर ले आने वाला दल विजयी होगा।
2. रस्साकशी - पूर्व खेल की भाँति मोटे तथा लम्बे रस्से के मध्य - बिन्दु पर बँधे रूमाल को निर्धारित दूरी तक अपनी ओर खींचने वाला दल विजयी होगा।
4. मंडल के खेल -
1. चूहा - बिल्ली - सब हाथ पकड़ कर मंडल / गोला बनायेंगे , एक खिलाड़ी बाहर (बिल्ली) तथा एक अन्दर (चूहा) रहेगा। सीटी बनजे पर बिल्ली चूहे को पकड़ेगी पर सब उसे बचाने का प्रयत्न करेगे, यदि चूहा अन्दर है तो सब बिल्ली को बाहर ही रोकेंगे, यदि बिल्ली अन्र आ गई है तो चूहे को सुरक्षित बाहर निकाल देंगे । इस प्रकार खेल चलता रहेगा।
2. चुनौती - सभी खिलाड़ी मंडल बनाकर बैठेगे , खिलाड़ी अ के पास रूमाल रहेगा। जिसे वह दौड़ते हुए चुपचाप मंडल के किसी भी खिलाड़ी ब के पीछे चुपचाप रखेगा। यदि ब को इसका पता लग गया तो वह अ का पीछा कर उसे मुक्के मारेगा अन्यथा परिक्रमा पूरी कर अ रूमाल उठाकर ब को मुक्के मारेगा , ब बचने हेतु दौडे़गा तथा एक परिक्रमा कर अपने स्थान पर बैठेगा।
3. कुरू - मूर्ति - सब मंडलाकार दौडेंगे , षिक्षक विभिन्न उद्घोश बोलता रहेगा , अचानक वह बीच में जोर से मूर्ति कहेगा। इस पर सभी खिलाड़ी मूर्तिवत स्थिर हो जायेंगे , जो खिलाड़ी हिलता दिखाई दिया , वह बाहर हो जायेगा। कुरू कहने पर फिर दौड़ने लगेगे , सबसे अन्त तक बचने वाला विजयी होगा।
4. बगुला भगत - मंडल के बीच में एक रूमाल रखा होगा , शिक्षक जिस खिलाड़ी का नाम या अंक बोलेगा, वह एक पैर पर कूदता हुआ आयेगा तथा हाथ पीछे बाँध कर मुँह से रूमाल उठायेगा।
5. वाह रे बुद्धू - एक छोटा गोला बनाकर उसमें एक स्वयंसेवक खड़ा होगा। सब उसकी पीठ पर मुक्का मार कर वाह रे बुद्धू कहेंगे। वह मंडल के अन्दर रहते हुए ही उन्हें छूने का प्रयास करेगा। इस प्रकार जो स्वयंसेवक छुआ जायेगा, अब उसे बीच में आना होगा।
6. मत चूको चैहान - शिक्षक किसी भी खिलाड़ी को ईट के पास बुलाएगा फिर उसकी आँख बंद कराकर लट्टू की तरह उसी स्थान पर तीन चक्कर लगवाएगा। अब वह ईंट पर दंड मारने का प्रयास करेगा ।तीन प्रयास में भी सफल न होने वाला खेल से बाहर हो जाएगा।
और भी बहुत से ऐसे खेल है जिनका वर्णन इस एक ही लेख में करना सम्भव नहीं हो पाया। इसलिए अन्य खेलों के लिए अगला लेख जल्द.
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